माँ!
तेरी तुलना मैं किससे करूँ
सभी तो तेरे आगे
बौने दिखते हैं|
देवी
कह नहीं सकता
वह तो
वरदान दे कर चली जाती हैं|
वह तुम्हारी तरह हमारे कष्टों को ना ही
सह सकती हैं और नाहीं
उन्हें सह कर मुस्कुरा सकतीं हैं|
तपस्वनी
कह नहीं सकता
वह तो
कुछ पाने की लालसा में
कष्टों को सह,मौन धारण कर लेती हैं|
तुझे मैं कैसे
वैख्यायित करूँ मेरी जिव्हा
लटपटा जाती है|
बुद्धि
जवाब दे जाती है|
आखिर ऐसा
कौन है?
इस ब्रह्माण्ड में
जो तेरी बराबरी कर सके,
तेरे दूध का
क़र्ज़ अदा कर सके
माँ!
तू महान है!
पूजनीय है!
वंदनीय है!
कष्टों को सह मुस्कुराती है, पर तू
लाख छिपाए
तेरी मुस्कुराहटों में दबे उन असहनीय
कष्टों को देख लेता हूँ |
- त्रिलोक नाथ पाण्डेय|
तुझे मैं कैसे
वैख्यायित करूँ मेरी जिव्हा
लटपटा जाती है|
बुद्धि
जवाब दे जाती है|
आखिर ऐसा
कौन है?
इस ब्रह्माण्ड में
जो तेरी बराबरी कर सके,
तेरे दूध का
क़र्ज़ अदा कर सके
माँ!
तू महान है!
पूजनीय है!
वंदनीय है!
कष्टों को सह मुस्कुराती है, पर तू
लाख छिपाए
तेरी मुस्कुराहटों में दबे उन असहनीय
कष्टों को देख लेता हूँ |
- त्रिलोक नाथ पाण्डेय|
1 comment:
beautiful words...god bless...
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