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Friday, January 14, 2011

स्वाधीनता -अच्छा मजाक था!






 स्वाधीनता -अच्छा मजाक था! 
हम स्वाधीन हुए 
सिर्फ 
संविधान में 
सच्ची स्वाधीनता 
अब भी बाकी है|
हर तरफ 
भुखमरी 
लाचारी 
ये ही 
आज़ादी है? 
जहाँ 
दिनोंदिन 
बढ़ रही हैं पंक्तियाँ 
बेरोजगारों की
और 
दम तोड़ रही 
गरीबी रेखा के नीचे की जनता 
६० करोड़ की  
जहाँ 
माएँ बेचती
नवजात शिशु 
बेबस बाप बेचता 
जवान बेटी है |
बस मिटाने आग पेट की 
धो रहें हैं 
नन्हें-नन्हें हाथों वाले,
तथाकथित देश के 
भविष्य 
थाली ढाबों की|
अब आँखें 
सून  
पड़ गयीं हैं 
स्वप्न और राह 
 देख-देख कर 
सुखी और समृद्ध 
भारत का|
                                                -त्रिलोक नाथ पाण्डेय 
आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए?
क्या आपको लगता है कि आपके सपनों का भारत कभी बन पायेगा?
यदि आपको लगता है -बन पायेगा तो कैसे ? 
यदि आपको लगता है -नहीं बन पायेगा तो क्यों ?
       जय हिंद !



1 comment:

Anonymous said...

BAHUT HI UMDA...LIKHTE RAHO....JAI HIND