Powered By Blogger

Friday, January 14, 2011

स्वाधीनता -अच्छा मजाक था!






 स्वाधीनता -अच्छा मजाक था! 
हम स्वाधीन हुए 
सिर्फ 
संविधान में 
सच्ची स्वाधीनता 
अब भी बाकी है|
हर तरफ 
भुखमरी 
लाचारी 
ये ही 
आज़ादी है? 
जहाँ 
दिनोंदिन 
बढ़ रही हैं पंक्तियाँ 
बेरोजगारों की
और 
दम तोड़ रही 
गरीबी रेखा के नीचे की जनता 
६० करोड़ की  
जहाँ 
माएँ बेचती
नवजात शिशु 
बेबस बाप बेचता 
जवान बेटी है |
बस मिटाने आग पेट की 
धो रहें हैं 
नन्हें-नन्हें हाथों वाले,
तथाकथित देश के 
भविष्य 
थाली ढाबों की|
अब आँखें 
सून  
पड़ गयीं हैं 
स्वप्न और राह 
 देख-देख कर 
सुखी और समृद्ध 
भारत का|
                                                -त्रिलोक नाथ पाण्डेय 
आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए?
क्या आपको लगता है कि आपके सपनों का भारत कभी बन पायेगा?
यदि आपको लगता है -बन पायेगा तो कैसे ? 
यदि आपको लगता है -नहीं बन पायेगा तो क्यों ?
       जय हिंद !



माँ


माँ!
तेरी तुलना मैं किससे करूँ 
सभी तो तेरे आगे 
बौने दिखते हैं| 
देवी 
 कह नहीं सकता 
वह तो 
वरदान दे कर चली जाती हैं|
वह तुम्हारी तरह हमारे कष्टों को ना ही 
सह सकती हैं और नाहीं
उन्हें सह कर मुस्कुरा सकतीं हैं|
तपस्वनी 
कह नहीं सकता
वह तो 
कुछ पाने की लालसा में 
कष्टों को सह,मौन धारण कर लेती हैं| 
तुझे मैं कैसे 
वैख्यायित करूँ मेरी जिव्हा 
लटपटा जाती है| 
बुद्धि 
जवाब दे जाती है|
आखिर ऐसा 
  कौन है?
इस ब्रह्माण्ड में 
जो तेरी बराबरी कर सके, 
तेरे दूध का 
क़र्ज़ अदा कर सके 
माँ!
तू महान है!
पूजनीय है! 
वंदनीय है! 
कष्टों को सह मुस्कुराती है, पर तू 
लाख छिपाए 
तेरी मुस्कुराहटों में दबे उन असहनीय    
कष्टों को देख लेता हूँ |
         - त्रिलोक नाथ पाण्डेय|








    
    



युद्ध


                                    
                                 
"आज भी साम्राज्यवाद कायम है ,सिर्फ उसने नकाब बदला है ,चाल नहीं|साम्राज्यवाद के विध्वंश में ही पुरे विश्व का कल्ल्याण है|"    
                                                           -त्रिलोक नाथ पाण्डेय