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Monday, October 3, 2011



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सुदीप बनर्जी:हमारे समय का एक ऋषि

यदि पौराणिक काल में ऋषि राजाओं को राजधर्म और प्रजा के प्रति कर्तव्य की सीख देते थे और ऐसा करते हुए वे ऋषि शासन का अंग नहीं होते थे तो श्री बनर्जीने ऋषि की भांति लोकतंत्र के वर्तमान शासकों को प्रजा ... पढ़िए
0 टिप्पणी, स्मरणार्थ, (0 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011,
डॉ. सुशील त्रिवेदी

छत्तीसगढ़ रेडियो प्रसारण सेवा के 48 वर्ष पूर्ण

रायपुर। रेडियो प्रसारण सेवा के 48 वर्ष छत्तीसगढ़ में पूरे हो चुके हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर दो अक्टूबर 1963 को यहां आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र के प्रसारण की शुरूआत हुई थी। आकाशवाणी रायपुर का अड़तालिसवां स्थापना दिवस समारोह ... पढ़िए
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रायपुर से राम पटवा की रपट

माधव शुक्ल मनोज:रचनाकारों की श्रद्धांजलि

रायपुर। प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, सृजनगाथा, छत्तीसगढ़ राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, सृजन-सम्मान, छग गुरुघासी दास साहित्य अकादमी, पांडुलिपि, साहित्य वैभव, सद्भावना दर्पण, छत्तीसगढ़ लेखक संघ से जुड़े साहित्यकारों ने हिन्दी और बुंदेली के प्रतिष्ठित कवि को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की ... पढ़िए
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रायपुर से राम पटवा की रपट

वो छूट गया

0 टिप्पणी, छंद > ग़ज़ल, (4 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : सोमवार, 3 अक्टूबर 2011,
डॉ. नमन दत्त

ऑनलाइन दुनिया में पंख पसार रहा:हिंदी साहित्य

वेब पत्रिकाओं में प्रयोग भी हो रहे हैं। 2008 से प्रकाशित प्रतिलिपि हिंदी-अंग्रेजी, दो भाषाओं में मौजूद है। इस पत्रिका में हिंदी में अनुदित साहित्य के साथ मूल भाषा की स्क्रिप्ट भी होती है। यहां लगभग 25 देसी-विदेशी भाषाओं का साहित्य ... पढ़िए
0 टिप्पणी, हिंदी-विश्व, (21 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : सोमवार, 3 अक्टूबर 2011,
जागरण से रवि बुले की रपट

कवि और कर्मयोगी

यह बात तो पूरी तरह से प्रमाणित है कि महात्मा और कवि के बीच कई मुद्दों पर अनेक असहमतियों के बावजूद उनके बीच मानसिक साहचर्य का एक ऐसा अटूट विश्वास था जिसनें दोनों महापुरूषों को जीवन पर्यन्त मर्यादित सम्मान के साथ ... पढ़िए
1 टिप्पणी, आलेख, (22 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : सोमवार, 3 अक्टूबर 2011,
सत्यकेतु सांकृत

प्रतियोगी परीक्षाओं में परिवर्तन

यह कितना आवश्यक है? सवाल नहीं किया जाना चाहिए। चूंकि परिवर्तन जीवन का मूल सिद्धांत है। हां, यहां विश्लेषण इन परीक्षाओं में सफल और असफल होने वाले छात्रों के बीच किया जा सकता है। हिन्दुस्तान की दो महत्वपूर्ण परीक्षाएं, जिसके द्वारा ... पढ़िए
0 टिप्पणी, ये भी एक दृष्टिकोण, (19 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : सोमवार, 3 अक्टूबर 2011,
मनोज सिंह

स्व. सफदर हाश्मी की कविताएं

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स्व. सफदर हाश्मी

मेरी नीना

वह उन चिड़ियों के बीच ही होगी पर हम उसे पहचान नहीं पा रहे थे। हम सब हर पेड़ के पास जाकर नीना-नीना चिल्ला रहे थे, पर वो नहीं लौटी। हम उसे नहीं पहचान रहे थे तो क्या, वह तो हमे ... पढ़िए
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बीनू भटनागर

सांभरिया को 2011 का घासीराम वर्मा साहित्य पुरस्कार

चुरु। सूचना केंद्र में प्रयास संस्थान की ओर से शनिवार शाम हुए समारोह में साहित्यकार तथा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक रत्नकुमार सांभरिया को ‘खेत और अन्य कहानियां’ के लिए वर्ष 2011 के घासीराम वर्मा साहित्य पुरस्कार से नवाजा ... पढ़िए
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चुरु से रत्नकुमार की रपट

‘जारकर्म की अपनी द्विज परम्परा पर फिल्म बनाएं प्रकाश झा’

आरक्षण फिल्म आरक्षण के विरोध में लिखी और बनाई गई है। फिल्म का एक-एक डायलाग आरक्षण के विरोध में है। आरक्षण समर्थन के नाम पर चालू, सतही और उत्तेजक डायलाग हैं। किसी को यह भ्रम नहीं रहना चाहिए कि यह फिल्म ... पढ़िए
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कैलाश दहिया

कबीर के बहाने ‘समाज का सच’

कबीर सुकरात के परंपरा के कवि हैं। सुकरात के ही समान कबीर शासकों का कोपभाजन बने। वे सुकरात के समान ही कड़वी बाते कहते थे। कबीर ने तत्कालीन शासक वर्ग के खिलाफ हमेशा ‘वंचित’ वर्गों के लिए आवाज उठाई। ... पढ़िए
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कुमार वरुण

नैनों देखी मन की बीती

हर चलता फिरता ताने और तंज़ कसता जाता है। मानो इस आदमी में समाज का बेडा गर्क कर दिया और देश को इससे अपूर्णीय क्षति हुई है। दो आलू किसी का घर बर्बाद करने के लिए काफी हैं और क़त्ल करने ... पढ़िए
0 टिप्पणी, आलेख, (40 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : रविवार, 2 अक्टूबर 2011,
दीपक शर्मा

पाकिस्तान के कारण उर्दू की हालत पतली है:मुनव्वर

हिंदी और उर्दू की सादगी की गंगा-जमुनी धार का मज़ा मालूम है उनके लिए मुनव्वर की ज़बान एक ऐसी ज़बान है जो इन दोनों के पहनापे में विश्वास करती है। एक को माँ तो दूसरे को मौसी समझती है, जिसके लिए ... पढ़िए
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इम्तियाज़ अहमद गाज़ी

अगंभीर घटनाओं का गंभीर लेखक

भिलाई। कृति विमर्श कार्यक्रम के अंतर्गत बीते दिनों लघुकथाकार आलोक कुमार सातपुते की अब तक प्रकाशित चार कृतियों पर विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम जनता स्कूल, भिलाई-3 में हुआ। इस अवसर पर मराठी अनुवादक भीमराव गणवीर (नागपुर) और उड़िया अनुवादक ... पढ़िए
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केवल कृष्ण की रपट

मानिक एंग्केरान

वह सदा ऊँची बोली लगता और अक्सर ही हार जाता। इस हार को वह चुनौती की तरह लेता और अगली बार अधिक ऊँची बोली लगाता। अपने माता-पिता की सारी संपत्ति उसने जुए में लुटा दी। यहाँ तक कि लोगों से उधर ... पढ़िए
0 टिप्पणी, लोक-आलोक, (21 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : रविवार, 2 अक्टूबर 2011,
प्रीता व्यास

तो दुनिया में कोई भी बीमार न पड़ता

0 टिप्पणी, बचपन > बाल गीत, (19 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : रविवार, 2 अक्टूबर 2011,
पी. दयाल श्रीवस्तव

दुनिया जहां का ज्ञान आपकी उंगलियों पर

जिमी वेल्स ने ठीक सोचा था। क्या कोई भी प्रकाशन संस्थान, यहां तक कि कोई सरकार भी इतना बड़ा विश्वकोश तैयार कर सकती है? ऐसा सिर्फ तभी संभव था जब लाखों लेखकों और हजारों संपादकों की विश्वव्यापी टीम नि:स्वार्थ ढंग से ... पढ़िए
0 टिप्पणी, टेक-वर्ल्ड, (18 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : शनिवार, 1 अक्टूबर 2011,
बालेन्दु शर्मा दाधीच

स्मृति मंजूषा और भीगे पंख का लोकार्पण

लखनऊ। नीरजा द्विवेदी के संस्मरण ’स्मृति मंजूषा’ एवं महेश चन्द्र द्विवेदी के उपन्यास ’भीगे पंख’ का लोकार्पण 25 सितम्बर, 2011 को सिटी मांटेसरी स्कूल, गोमतीनगर, लखनऊ के भव्य सभागार में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर लेखिका नीरजा द्विवेदी ने सस्वर भावभीनी ... पढ़िए
1 टिप्पणी, हलचल, (33 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : शनिवार, 1 अक्टूबर 2011,
लखनऊ से महेश चन्द्र द्विवेदी की रपट

यादों के झरोखे से:नामवर सिंह

इस परीक्षा की तैयारी के लिए पुस्तक सूची तैयार करने के लिए मैं उन दिनों जालंधर के पंजाब विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र में कार्यरत रमेश कुंतल मेघ के पास विशेष रूप से गया था और छायावादी कवियों को समझने के लिए ... पढ़िए
0 टिप्पणी, संस्मरण, (16 ) बार देखा गया, प्रविष्ट तिथि : शनिवार, 1 अक्टूबर 2011,
चमन लाल

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