Powered By Blogger

Wednesday, October 5, 2011



वह स्थान मंदिर है, जहाँ पुस्तकों के रूप में मूक, किन्तु ज्ञान की चेतनायुक्त देवता निवास करते हैं। - आचार्य श्रीराम शर्मा
कृपया दायीं तरफ दिए गए 'हमारे प्रशंसक' लिंक पर क्लिक करके 'अपनी हिंदी' के सदस्य बनें और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दें। सदस्यता निशुल्क है।

हिंदी आलोचना: अतीत और वर्तमान

'हिंदी आलोचनाअतीत और वर्तमानपुस्तक में हिंदी साहित्य की आलोचनात्मक पद्धति के २ युगों की तुलना की गयी है। यह पुस्तक हिंदी भाषा के अनुभवी साहित्यकार श्री प्रभाकर माचवे के व्याख्यानों पर आधारित है।

हमें विश्वास है कि ये पुस्तक हिंदी भाषा के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी  वहीँहिंदी के सुबुध पाठकों का भी ध्यान आकृष्ट अवश्य करेगी।




डाउनलोड लिंक (Rapidshare, Hotfile आदि) :
कृपया यहाँ क्लिक करें





(डाउनलोड करने में कोई परेशानी हो तो कृपया यहाँ क्लिक करें)

ये पुस्तक आपको कैसी लगी? कृपया अपनी टिप्पणियां अवश्य दें। 
 

0 टिप्पणियां:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियां हमारी अमूल्य धरोहर है। कृपया अपनी टिप्पणियां देकर हमें कृतार्थ करें ।

Web Hosting
Related Posts with Thumbnails

लिखिए अपनी भाषा में

 

लेबल

कहानी कविता उपन्यास धार्मिक इतिहासप्रेमचंद विज्ञान जीवनी सेहत हास्य-व्यंग्य बाल-साहित्यशरत चन्द्र ज्योतिष मोपांसा पुराण बंकिम चन्द्र हरिवंश राय बच्चन अनुवाद तिलिस्म यात्रा-वृतांत वीडियो दिनकरदेशभक्ति प्रेरक यशपाल ओ. हेनरी कहावतें धरमवीर भारतीनन्दलाल भारती विवेकानंद किशोरीलाल गोस्वामी कुमार विश्वासजयशंकर प्रसाद महादेवी वर्मा संस्मरण अमृता प्रीतम जवाहरलाल नेहरु देवकीनंदन खत्री पी.एन. ओक रहीम रांगेय राघव हरिशंकर परसाई ग़ालिब अज्ञेय इलाचंद्र जोशी ओशो कृशन चंदर गुरुदत्तचतुरसेन जैन भारतेन्दु हरिश्चन्द्र मन्नू भंडारी मोहन राकेशरबिन्द्रनाथ टैगोर राही मासूम रजा राहुल सांकृत्यायन वृन्दावनलाल वर्मा शरद जोशी सुमित्रानंदन पन्त असग़र वजाहत उपेन्द्र नाथ अश्ककालिदास खलील जिब्रान चन्द्रधर शर्मा गुलेरी तसलीमा नसरीन फणीश्वर नाथ रेणु
;

No comments: